सेवा सत्कार और नवजीवन का केंद्र फील परमार्थम फाउंडेशन
दुर्ग के भिलाई सेक्टर 3 में एक ऐसा फाउंडेशन है जो बुजुर्ग और मानसिक विक्षिप्तों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस फाउंडेशन (Feel Parmartham Foundation Center bhilai ) के जरिए सड़कों में जिंदगी जी रहे लोगों को नई जिंदगी जी रही है.
आज के जमाने में लोग मां-बाप के एहसानों को भूलने में जरा भी देर नहीं करते. आपको सड़क और गलियों में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे. जहां बुजुर्ग दो वक्त की रोटी के लिए दूसरों के सामने हाथ फैला रहे हैं.जबकि ये बुजुर्ग अच्छे परिवारों से ताल्लुक रखते हैं. लेकिन वक्त ने इनके साथ ऐसा खेल खेला कि आज ये दूसरों के सामने हाथ फैलाने को मजबूर है. ऐसे ही बेसहारा और मानसिक रुप से विक्षिप्त हो चुके लोगों के लिए मसीहा बनकर आया है (Feel Parmartham Foundation Center bhilai) फील परमार्थम फाउंडेशन.
फील परमार्थम फाउंडेशन उन लोगों के लिए आसरा है जिनके अपनों ने उन्हें मरने के लिए बेसहारा छोड़ दिया. इस फाउंडेशन के मेंबर पेशे से इंजीनियर अमित राज के मुताबिक चार साल पहले उन्होंने एक विक्षिप्त को डस्टबिन से खाना बीनते देखा. उसी दिन से उन्होंने ऐसे लोगों के लिए कुछ करने की ठानी.अमित आधी रात को सड़क किनारे रह रहे लोगों को खाना पहुंचाने लगे. लेकिन एक दिन उनकी जिंदगी ने नया मोड़ ले लिया.
अमित बुजुर्गों और बेसहारा को खाना पहुंचाने का काम कर ही रहे थे. लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि उनकी जिंदगी बदल गई.5 जनवरी 2019 भिलाई के ग्लोब चौक के पास वो एक बुजुर्ग को खाना देने पहुंचे.बुजुर्ग कड़ाके की ठंड में अकड़ चुका था. अमित ने बुजुर्ग को उठाकर अस्पताल ले जाने का फैसला किया.लेकिन जैसे ही वो अस्पताल लेकर पहुंचे बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया.
अमित ने तय किया कि दो वक्त की रोटी ही सब कुछ नहीं है. मौसम की मार और दूसरी परेशानियों से इन्हें बचाना जरुरी है.लिहाजा सांसद विजय बघेल के प्रयास से उन्हें सेक्टर 3 में एक पुरानी खाली पड़ा मकान मिला. उसे उन्होंने सभी के सहयोग से एक आश्रय गृह में तब्दील किया. जिनका नाम फील परमार्थम फाउंडेशन दिया गया (Feel Parmartham Foundation is operated in Bhilai ) है. ये संस्था वर्ष 2020 में पांच बेसहारा बुजुर्गो और विक्षिप्तों के साथ शुरू हुई.आज संस्था में 31 लोग रहते हैं.
अब तक इस आश्रम में 7 लोग पूरी तरह से ठीक होकर अपने घर वापस लौट गए हैं. इनमें से 3 लोग दूसरे राज्यों के थे. जब वे लोग ठीक हो गए तो अमित को अपना नाम और अपने घर वालों का पता बताया. उसके बाद उनके घर वालों से अमित ने संपर्क किया. फिर जो भटके हुए लोग थे. उनसे मिलने के लिए उनके परिजन आश्रय पर आए और उन्हें अपने साथ ले गए. जाते वक्त उन लोगों ने अमित को बहुत सारी शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया.
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